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रमा एकादशी हिंदू संस्कृति में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण इकदाशी उत्सवों में से एक है। यह 'कार्तिक' के हिंदू महीने के दौरान कृष्णा पक्ष की 'इकदाशी' पर पड़ता है। यह तारीख हिंदू कैलेंडर में सितंबर से अक्टूबर के महीनों के बीच होती है। रमा एकादशी दीवाली के उत्सव से पहले चार दिन पहले मनाया जाता है। इस एकादशी को 'रामभा एकादशी' या 'कार्तिक कृष्ण एकादशी' भी कहा जाता है। यह एक लोकप्रिय दृढ़ विश्वास है कि हिंदू भक्त इस दिन पवित्र उपवास रख कर अपने पापों को धो सकते हैं।
इस साल रमा एकादशी के तारीख :
रमा एकादशी को दिन भक्ति के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम रमा है। यह बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली है। कार्तिक मास में तो प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठने, स्नान करने और दानादि करने का विधान है। इसी कारण प्रात: उठकर केवल स्नान करने मात्र से ही मनुष्य को जहां कई हजार यज्ञ करने का फल मिलता है, वहीं इस मास में किए गए किसी भी व्रत का पुण्यफल हजारों गुणा अधिक है। रमा एकादशी व्रत में भगवान विष्णु के पूर्णावतार भगवान जी के केशव रूप की विधिवत धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प एवं मौसम के फलों से पूजा की जाती है।
इस साल रमा एकादशी के तारीख :
10 नवंबर 2050
गुरुवार
रमा एकादशी को दिन भक्ति के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम रमा है। यह बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली है। कार्तिक मास में तो प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठने, स्नान करने और दानादि करने का विधान है। इसी कारण प्रात: उठकर केवल स्नान करने मात्र से ही मनुष्य को जहां कई हजार यज्ञ करने का फल मिलता है, वहीं इस मास में किए गए किसी भी व्रत का पुण्यफल हजारों गुणा अधिक है। रमा एकादशी व्रत में भगवान विष्णु के पूर्णावतार भगवान जी के केशव रूप की विधिवत धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प एवं मौसम के फलों से पूजा की जाती है।