
पितृपक्ष अमावस्या में प्रत्येक परिवार में मृत माता-पिता का श्राद्ध किया जाता है, परंतु गया श्राद्ध का विशेष महत्व है। वैसे तो इसका भी शास्त्रीय समय निश्चित है, परंतु ‘गया सर्वकालेषु पिण्डं दधाद्विपक्षणं’ कहकर सदैव पिंडदान करने की अनुमति दे दी गई है।
पितृ पक्ष अमावस्या के वर्ष चुने
यह प्रतिपदा पर शुरू होता है, जिसमें चंद्रमा अमावस्या, पितृ अमावस्या, पेडला अमावस्या, महालया अमावस्या या बस महालया के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है।